आँकने वाला का अर्थ
[ aanekn vaalaa ]
आँकने वाला उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- आँकने, कूतने या अंदाजा लगाने वाला व्यक्ति:"वह आँकू कहाँ चला गया"
पर्याय: आँकू, कूतने वाला
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- जब शब्दों का मोल आँकने वाला मापक बहरा है ,
- तुम्हारा मूल्य आँकने वाला रस पारखी वाम विधाता ने बनाया ही नहीं।
- तुम्हारा मूल्य आँकने वाला रस पारखी वाम विधाता ने बनाया ही नहीं।
- जो सहजता से मिल जाता है उसका मोल आँकने वाला संसार में कोई बिरला ही होगा।
- तब लगता है ठगा गया हूँ मैं जीवन के लेन देन में , जब अयोग्य जुगनू सूरज के सिंहासन पर दिखता है, जब खोटा पत्थर का टुकड़ा कनक कणी सा बिकता है, जब शब्दों का मोल आँकने वाला मापक बहरा है, जब असत्य परपंच अनर्गल संभाषण ही टिकता है, मिलता है सम्मान उसी संभाषण क
- तब लगता है ठगा गया हूँ मैं जीवन के लेन देन में , जब अयोग्य जुगनू सूरज के सिंहासन पर दिखता है, जब खोटा पत्थर का टुकड़ा कनक कणी सा बिकता है, जब शब्दों का मोल आँकने वाला मापक बहरा है, जब असत्य परपंच अनर्गल संभाषण ही टिकता है, मिलता है सम्मान उसी संभाषण क...
- जब अयोग्य जुगनू सूरज के सिंहासन पर दिखता है , जब खोटा पत्थर का टुकड़ा कनक कणी सा बिकता है, जब शब्दों का मोल आँकने वाला मापक बहरा है, जब असत्य परपंच अनर्गल संभाषण ही टिकता है, मिलता है सम्मान उसी संभाषण को श्लोकों सा, तब लगता है ठगा गया हूँ मैं जीवन के लेन देन में,
- जब अयोग्य जुगनू सूरज के सिंहासन पर दिखता है , जब खोटा पत्थर का टुकड़ा कनक कणी सा बिकता है, जब शब्दों का मोल आँकने वाला मापक बहरा है, जब असत्य परपंच अनर्गल संभाषण ही टिकता है, मिलता है सम्मान उसी संभाषण को श्लोकों सा, तब लगता है ठगा गया हूँ मैं जीवन के लेन देन में,
- जब अयोग्य जुगनू सूरज के सिंहासन पर दिखता है , जब खोटा पत्थर का टुकड़ा कनक कणी सा बिकता है , जब शब्दों का मोल आँकने वाला मापक बहरा है , जब असत्य परपंच अनर्गल संभाषण ही टिकता है , मिलता है सम्मान उसी संभाषण को श्लोकों सा , तब लगता है ठगा गया हूँ मैं जीवन के लेन देन में ,
- वैसे तो भारत की दुर्दशा के लिये विदेशी सदैव ज़िम्मेदार माने जाते रहे हैं , पर यह तो विदेश से नहीं आया है , शायद ? सदियों तक चोट देकर अब निरंतर सहलाने को आप क्या कहेंगी ? भौतिकतापरक तुच्छ विदेशी “ अनियंतंत्रित बस ने दलित को रौंदा ” जैसे शीर्षकों का महत्व क्या जानें ? नारीमुक्ति की गोहार किससे और क्यों ? स्त्री को कमतर करके आँकने वाला समाज़ उसके उपलब्धियों पर ताली पीट सकता है ..